
बरबसपुर में व्रतोपनयन संस्कार में शामिल हुए नीलांचल सेवा समिति संस्थापक व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ.सम्पत अग्रवाल
बसना अंचल के ग्राम बरबसपुर में व्रतोपनयन संस्कार का आयोजन हुआ। इसमें विधि-विधान से बटुकों (रितेश दास एवं आदर्श दास) का व्रतोपनयन संस्कार किया गया। इस अवसर पर बाल बटुकों से आशीर्वाद लेने नीलांचल सेवा समिति संस्थापक एवं नगर पंचायत पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता डॉ.सम्पत अग्रवाल जी शामिल हुए। डॉ.सम्पत अग्रवाल ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस पहल को समाज के लिए वरदान बताया।
व्रतोपनयन संस्कार का उद्देश्य वैदिक ज्ञान के शुभारंभ के साथ बालकों को सुसंस्कृत कर समाज को एक सूत्र में बांधना है।आचार्य गायत्री मंत्र का अर्थ शिष्य को समझाता था। इस संस्कार के बाद बालक “द्विज’ कहलाता था, क्योंकि इस संस्कार को बालक का दूसरा जन्म समझा जाता था। उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है।
हिंदू धर्मों के 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है उपनयन संस्कार। इसे यज्ञोपवित या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है। उप यानी पानस और नयन यानी ले जाना अर्थात् गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार। प्राचीन काल में इसकी बहुत ज्यादा मान्यता थी। इस क्रम में ब्राह्मण बालक का आठवें साल में उपनयन संस्कार होता है, क्षत्रिय बालक का 11 वें साल में होता है। जबकि वैश्य बालक का 15 वें साल में उपनयन संस्कार होता है।
इस अवसर पर पंडित नित्यानंद मिश्रा, सरपंच तपन भोई, ओमप्रकाश शर्मा, सेक्टर प्रभारी चमरा स्वर्णकार, विक्रांत शर्मा, अनिल पटेल, दिलीप प्रधान, वृन्दावती भोई, सुभाष दास, सुरेश दास, अनिता दास, सुभागिनी दास, गोविन्द कर आदि मौजूद रहें।