
व्यक्ति निर्माण के साथ राष्ट्र निर्माण की ओर एक कदम… पुरस्कार वितरण समारोह…
बसना । सरस्वती शिशु मंदिर बसना में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अभय धृतलहरे जिला प्रभारी नशामुक्ति अभियान व सचिव रामजानकी मंदिर समिति बसना, कार्यक्रम में अध्यक्षता ऋषिकेशन दास (पत्रकार हरिभूमि), विशिष्ट अतिथि के रूप मे मनहरण सोनवानी आई. एन. एच् न्यूज़ संवाददाता, डा. संगीता राजीव श्रीवास्तव, नरसिह शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा, संतराम भारद्वाज उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम अतिथियों के द्वारा देव प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर दीप मंत्र के साथ किया गया। तत्पश्चात अतिथियों को तिलककर पुष्प हार, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया ।तत्पश्चात अतिथियों द्वारा समस्त आचार्य व दीदीजनो को डायरी एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया। उसके पश्चात शालेय गतिविधियों में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों को दैनंदिनी सामग्री पुरस्कार के रूप मे वितरण कर प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन किया गया। उद्बोधन में अभय धृतलहरे ने आशीर्वचन में कहा कि,समय-समय पर बच्चों को पुरस्कृत करने से उनके अंदर की प्रतिस्पर्धी भावना जागृत होती है। बच्चे देश का भविष्य होते हैं। आज के बच्चे कल के अच्छे इंसान बनेंगे, इसलिए बच्चों को बुनियादी शिक्षा के साथ-साथ शुरू से संस्कार की शिक्षा देनी चाहिए। इस पहल को विद्या भारती के माध्यम से सरस्वती शिशु मंदिर देश भर के विभिन्न नगरीय क्षेत्र से लेकर सुदूर वनान्चल,व अति पिछडे क्षेत्रों मे भी बखूबी शिक्षा का अलख जगाते हुए संस्कार को पल्लवित कर रहे हैं। अंग्रेज़ियत के चलते अन्य सकूलो की शिक्षा पद्धति सिर्फ पाठ्यक्रम को पूरा करते है ; वहीं शिशु मंदिरों मे भारतीय संस्कृति को बचाने के साथ,व्यक्ति निर्माण, राष्ट्र निर्माण की पहल के साथ एक कदम आगे प्रयासरत है,, माता-पिता को प्रणाम करना, बड़ों का आदर करना, बड़ों का बात मानना, ईमानदार बनना, दूसरों की मदद करना आदि संस्कार की शिक्षा बच्चों को अभी से ही शिशु मंदिरों मे सिखाया जाता है। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने मे शान्दीपनी होता,देव प्रसाद साव, सुदेष्टा नायक, सरिता भोई, पुष्पान्जली बंजारा,नलिनी दास, अनुसुइया सामल, संतोषी गणतिया, मीना यादव एवं समस्त दीदी आचार्य का विशेष सहयोग रहा।कार्यक्रम का संचालन संस्था प्रभारी आचार्य शान्दीपनी होता ने किया।