बलौदाबाजार-भाटापारा

गिरौदपुरी दर्शन करने पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ.सम्पत अग्रवाल, गुरुगद्दी पर माथा टेक प्रदेश के सुख-समृद्धि की कामना की

बलौदाबाजार. नीलांचल सेवा समिति के संस्थापक व नगर पंचायत बसना पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सम्पत अग्रवाल आज संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा की जन्म जयंती मनाये जाने के पूर्व उनकी जन्मभूमि और तपोभूमि गिरौदपुरी पहुंचे। और बाबाजी के तपोभूमि में माथा टेका और मुख्य मंदिर में विधि-विधान से पूजा-आरती कर प्रदेश के सुख-समृद्धि की कामना की. उन्होंने गुरु घासीदास के तपोस्थान छाता पहाड़ में पहुंचकर आशिर्वाद लिया।

डॉ. सम्पत अग्रवाल के साथ प्रदेश महासचिव लखन कुर्रे, प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र बोरे,जिला महंत छबिलाल रात्रे, जिला उपाध्यक्ष हरदेव बारीक, जिला महासचिव लोकनाथ खुंटे, परिक्षेत्र अध्यक्ष खोलबाहरा निराला,धरम सिंह बर्मन, संत रितुराम साधु, संत भागीरथी हिरवानी, संत रघुनाथ जांगड़े, संत गोपाल सत्यवंशी, संत लाभो साधु, अभय धृतलहरें, मनीष भारद्वाज, कुशल रात्रे, डीजेन्द्र कुर्रे, योगेश टंडन, गयाप्रसाद रत्नाकर, ललित धृतलहरें, युगल खुंटे हेमलाल रात्रे, लाल प्रसाद कोसरिया, नजीर कोसरिया, जयराम खुंटे, मोहन खुंटे, रूपलता कुर्रे, अर्जुन मिरी, बोधन बघेल, धरमदास बर्मन, रेशम लाल बघेल, उत्तर बघेल, लाला निराला, दीपक अनंत सहित अनेक श्रद्धालुजन भी गिरौदपुरी पहुंचे और बाबाजी के चरणों मे माथा टेक आशीर्वाद लिया। इस दौरान उन्होंने गुरु घासीदास बाबा जी के संदेश को जन जन तक पहुँचाने सतनाम चालिसा एवं अजर अमर सतनाम पुस्तक का विमोचन किया।

ज्ञात हो कि प्रति वर्ष 18 दिसम्बर को संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा की जन्म जयंती मनाया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु गिरौदपुरी पहुंचकर गुरु घासीदास बाबा के गुरुगद्दी का आशीर्वाद लेते हैं। गिरौदपुरी में स्थित विश्व का सबसे बड़ा जैतखाम है। गिरौदपुरी का जैतखाम कुतुब मीनार से भी ऊंचा है जिसके चलते इसे देखने देश-विदेश से लोग पहुचते हैं।

सतनामी समाज के लोगों के लिए संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा के जन्म जयंती का दिन त्योहार से कम नहीं है. इस दिन के लिए सभी सतनामी बंधुगण अपने घरों की सफाई-पुताई करते हैं तथा अपने घरों के जैतखाम में ध्वजा चढ़ाते हैं. परिवार की सुख-समृध्दि के लिए गुरू घासीदास जी की पूजा-आरती करते हैं।

गुरु घासीदास जी के बारे में यह भी प्रचलित है कि उनका जन्म एक बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ था। जैतखाम के ठीक बगल में ही आज भी उनके बैठने का स्थान वैसी ही स्थापित है। साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि आत्मज्ञान की प्राप्त करने के लिए उन्होंने औराधरा वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या किए थे, जो वर्तमान में तपोभूमि के नाम से जाना जाता है।

JIVAN DAS

भारत अंचल के फाउंडर और ओनर है।संपर्क मो.न.-7354223749

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